प्रजातान्त्रिक देश में एक क्रिकेट मैच
एक बार,
एक प्रजातान्त्रिक देश में,
एक अनोखे क्रिकेट मैच का किया गया आयोजन,
एक अदभुत अवसर पर,
स्वर्ण जयंती के आलम में,
लोकतंत्र के मैदान में !
अम्पायर थे , महामहिम !
पर, उठती ऊँगली वजीर की !
रेफरी थे अदालतें !
पर आँखों पर बंधी थी पट्टी !
स्कोरर थे इमानदार,
पर जेब से झांक रही थी नोटों की गड्डी !
दल थे - दो ,
सत्ता और विपक्ष,
सत्ताधारी गठबंधन,
जिसमें पता नहीं कितनी गांठे थी ?
और विपक्षी,
जिसमें पता नहीं कितने पक्ष थे!
सत्तापक्ष में थे खिलाडी बारह ,
आखिर कौन हटे !
परेशान कप्तान स्वयं हटे |
विपक्ष में खिलाड़ी थे ही कहाँ,
सभी स्वयं को कप्तान कहते!
आखिर उछाला गया सिक्का |
पर, यह क्या !
यह तो खड़ी रही !
आखिर फैसला हुआ अदभुत !
दोनों साथ-साथ खेले |
एक छोर, सत्तापक्ष का
व दूसरा, विपक्ष का |
इनाम थी कुर्सी |
जिसे पाने के लिए,
रन नहीं, खून बहाए गए |
इस तरह काफी समय से,
चल रहा है यह मैच !
पर स्कोर रहा हमेशा - जीरो |
हाँ, सच यही लोकतंत्र का,
सभी का एक ही उद्देश्य,
सेवा के बहाने कुर्सी पाऊं |
बेचारी जनता की उम्मीदें,
इस तरह हर बार टूटती |
पता नहीं, कब तक चलेगा ये,
क्या कभी समाप्त होगा यह मैच |
समाप्त