अभी तो अंगराई है , आगे और लड़ाई है
मित्रों, CA बनने के बाद यह मेरा पहला पोस्ट है. जैसा की अभी सारा देश श्री अन्ना जी के साथ आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ रहा है, मै भी ऑफिस और job-searching के बीच इस आन्दोलन में जुड़ता हूँ .
जहाँ एक ओर पुरे देश की जनता बड़े अरसे के बाद एक दिख रही हैं वहीँ दूसरी और कोई भी दल corruption के खिलाफ जन लोकपाल बिल के समर्थन में नहीं दिख रहा है. पर सबसे बड़ी बिडम्बना यह है की बुध्धिजीवी वर्गों में भी विभाजन दिख रहा है, जोकी उनके किताबी ज्ञान को दर्शा रहा है.
मेरा मानना है की जन लोकपाल बिल पूरी तरीके से सही है, और जिन मुद्दों में कुछ लोग बहस कर रहे हैं, उनसे सिर्फ यह पूछना चाहूँगा की आज़ादी के ६५ साल के अनुभव के बाद भी उन्हें यह बिल गलत लग रहा है. एक पूर्व कानून मंत्री यदि न्यायपालिका को लोकपाल के अन्दर लाना चाहता है तो इसका मतलब है की वे न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार से अवगत हैं. एक IPS और एक IAS आखिर क्यों टॉप burocracy को इसके अन्दर लाना चाहते हैं. 2G & CWG में प्रधान मंत्री की मूक दर्शक की भूमिका के बाद आखिर क्यों ना उन्हें भी लोकपाल के अधीन लाया जाय.
अतः अब देश की जनता को सिर्फ इस बिल को संसद में लाने की ज़िम्मेदारी ही नहीं है, बल्कि इस बिल को यथासंभव इसी रूप में पास करवाने की है.
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