शहीद चंद्रशेखर आजाद की याद में आज का मुक्तक ,
काबिल नहीं हैं ये सियार और गीदड़
कि नमन कर सके उन शेरों को,
जिन्होंने बलिदान दिया सिर्फ इसलिए ...
कि स्वराज होगा, कोई गुलाम नहीं होगा
और कोई कत्लखाना नहीं होगा यहाँ
पर अब हर कोई गुलाम है किसी और गुलाम का
स्वराज के नाम पर पार्टी-तंत्र और कॉरपोरेट-तंत्र
और अफ़सोस है कि ये सियार और गीदड़
खा रहे नोच-२ कर लाश ........हाँ जिन्दा लाश को
कि कत्लखाना ही तो है यहाँ हर जगह...हर जगह |
कि नमन कर सके उन शेरों को,
जिन्होंने बलिदान दिया सिर्फ इसलिए ...
कि स्वराज होगा, कोई गुलाम नहीं होगा
और कोई कत्लखाना नहीं होगा यहाँ
पर अब हर कोई गुलाम है किसी और गुलाम का
स्वराज के नाम पर पार्टी-तंत्र और कॉरपोरेट-तंत्र
और अफ़सोस है कि ये सियार और गीदड़
खा रहे नोच-२ कर लाश ........हाँ जिन्दा लाश को
कि कत्लखाना ही तो है यहाँ हर जगह...हर जगह |
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