सत्ता का खेल
जख्मों को हरा रहने दो,
थोड़ा नासूर और बनने दो
सियासत बनी रहे बदस्तूर,
बस इसका ख्याल रहने दो
थोड़ा नासूर और बनने दो
सियासत बनी रहे बदस्तूर,
बस इसका ख्याल रहने दो
...
इस पार हो या सीमा पार,
तल्ख़ मौहाल को रहने दो
रोटी छिनकर अभागों से
बुझती राखों में आग भरने दो
तल्ख़ मौहाल को रहने दो
रोटी छिनकर अभागों से
बुझती राखों में आग भरने दो
हर तरफ रंग-ए-मजहब
का शोर बढ़ते रहने दो
इन फरेबों की खातिर
लाशों को गिरते रहने दो
का शोर बढ़ते रहने दो
इन फरेबों की खातिर
लाशों को गिरते रहने दो
आवाजें आएंगी ठहरने की
इस पार भी उस पार भी
उसे अनसुना कर
खेल को बदस्तूर चलने दो
इस पार भी उस पार भी
उसे अनसुना कर
खेल को बदस्तूर चलने दो
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