आजादी – सुनने से
लेकर देखने तक
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बचपन से सुनते आये कि
भारत आजाद हुआ ४७ में
कोटि-२ है नमन उन शहीदों को
जिन्होंने प्राण गवाएं इस लड़ाई में|
कितना कठिन काम था ये
रियासतों को जोड़ना, सियासतों को तोडना
कोटि -२ है नमन सरदार पटेल लो
जिन्होंने मिलाया सबको एक भारत में |
पर देखते हैं आज आजादी का ये हाल तो
तरस है आता उन कुर्बानियों पर
जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र की लड़ाई में
तरस है आता जलते भारत पर |
चुनावें आती गई, सरकारें बनती गयीं
पर जनता का हाल मत पूछो इन नेताओं से
अपना पेट फुलाते रहे, जनता की कंगाली पर
तरस है आता लोकतंत्र-विधाता पर |
भ्रष्टाचार, नौकरशाही से बुरा हाल है
उसपर से मंहगाई भी बड़ी लाजबाब है
स्वास्थ्य, शिक्षा और बेटी की शादी
अभी भी जनता पर भारी है |
विश्वगुरु बन गया कॉल-सेंटर है
अपनी चीजों पर भी बाहर का पेटेंट है
इम्पोर्टेड को assemble कर यहाँ
मेक इन इंडिया का परचम लहराया है |
घोटालों की मार से जनता परेशान है
देश के नौनिहाल भी भारी कर्जदार है
अरबों का कर्जा खाके पूंजीपति निहाल है
फांसी को लगाने अन्नदाता मजबूर हैं |
आरोपों –प्रत्यारोपों से संसद में घमासान
है
जमीर को बेच खाए मिडिया भी बईमान है
केसों के बोझ से न्यायालय भी बड़ी सुस्त है
जनता जाये भी तो जाये कहाँ, बड़ी परेशान है
|
शिक्षा, सृजन से दूर छात्र नेतागिरी में है या बेरोजगार है
या अच्छी शिक्षा लेकर, लायक बन, देश से
फरार है
सरकारी सेवाओं को कहे बुरा - भला पर
सरकारी नौकरी के लिए मारा-मार है |
की बुझा नहीं आग अभी कश्मीर का
नक्सल भी बन गया व्यापार है
चीन की चाल देख कर भी
चलाते चीनी सामान हैं |
पर्यावरण का मत पूछो यहाँ
संस्कृति का भी बुरा हाल है
मातृभाषा को भूलने वाले याद रखो
क्या दोगे आप अपने नौनिहाल को |
निजीकरण की रट लगाये सरकार जरा
सरकार और प्रशासन को पारदर्शी तो कीजिये
माफिया, गुंडों, नेता के दबाब से मुक्त कीजिये
फिर psu का काम आप भी देखिये |
उम्मीद है बची नयी पीढ़ियों से
जो जलाये हैं मशाल नयी सोच की
भाषा, संस्कार व् पर्यावरण से जुड़ रहे
कर रहे खोज नए भारत के लिए |
उम्मीद है बची नयी पीढ़ियों से
जो जलाये हैं मशाल नयी सोच की
भाषा, संस्कार व् पर्यावरण से जुड़ रहे
कर रहे खोज नए भारत के लिए |
करते है नमन सब श्रोताओं को
तालियों के भूखे हैं तालियाँ तो दीजिये
दीजिये आशीर्वाद हम कवियों को
की जिन्दा रहे जमीर हमारा कविता के लिए |
-पथिक (दिनांक १९.०२.२०१८)
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