Sunday, December 13, 2015

विद्रोही

स्व. रमाशंकर यादव 'विद्रोही' को समर्पित, जिनका देहान्त विगत ०८.१२.२०१५ को हुआ |




विद्रोही


विद्रोही एक स्वर है जो
विद्रोह करेगा ही हर उस शख्स के लिए
जो अंतिम पायदाने पर है, या
जिसकी आवाज बस हलक में रह जाती है|

वो झिकझोरेगा हर उस शख़सियत को
जो सिर्फ चैन से सोना चाहता है
वो बुलंद करता रहेगा आवाज 
उन बहरों के कान में धमाके करने के लिए|

आज वो विद्रोही खामोश हो गया है सदा के लिए
पर विधाता...विद्रोही एक चेतना है....जो अजर है
अगर उसकी आवाज विद्रोही थी.........तो
उसकी ख़ामोशी भी बड़ी विद्रोही है |

और वो छोड़ गया है स्वर.........विद्रोह का
लेखनी जो उतार गया है नसों-२ में
और चिंगारी जो बढती ही जा रही है
झरिया के खानों की तरह अन्दर ही अन्दर|
- पथिक (१३.१२.२०१५)